बस चाहिए थोड़ी सी जगह
उन आवाज़ों मे ,जो चुप रही आईं
मेरे यादों का अनंत हुजूम
उनके साथ ही साथ चल रहा है...
और शामिल कर लो
अपनी उसी चुप्पी में.....
झील के साथ साथ चलते हुये
तेज़ बारिश मे भीगती झील का
अनंत सौंदर्य निहारते तुम -हम
अंदर से भीग कर भी
कहाँ से रह गए थे अनभीगे से
ठीक वहीं ..उस जगह पर
आज तक प्रतीक्षारत
उस छप्पर के ठीक नीचे ...
तुम साया हो
उस गहराए पेड़ की
और मैं तेज़ पड़ रही
बारिश की बूँदों की बौछार
जैसे उस अधूरी बात के
पूरे होने के इंतज़ार सा...
जिसे अब कोई मोहलत नही चाहिए ...... !
(उस अधूरे से दिन के नाम ... जो आज भी खड़ा है वहीं ....प्रतीक्षारत ....)
संध्या
उन आवाज़ों मे ,जो चुप रही आईं
मेरे यादों का अनंत हुजूम
उनके साथ ही साथ चल रहा है...
और शामिल कर लो
अपनी उसी चुप्पी में.....
झील के साथ साथ चलते हुये
तेज़ बारिश मे भीगती झील का
अनंत सौंदर्य निहारते तुम -हम
अंदर से भीग कर भी
कहाँ से रह गए थे अनभीगे से
ठीक वहीं ..उस जगह पर
आज तक प्रतीक्षारत
उस छप्पर के ठीक नीचे ...
तुम साया हो
उस गहराए पेड़ की
और मैं तेज़ पड़ रही
बारिश की बूँदों की बौछार
जैसे उस अधूरी बात के
पूरे होने के इंतज़ार सा...
जिसे अब कोई मोहलत नही चाहिए ...... !
(उस अधूरे से दिन के नाम ... जो आज भी खड़ा है वहीं ....प्रतीक्षारत ....)
संध्या