खौह
हाँ, आओ खामोश
उतर आओ पुरसुकून
मेरे भीतर
इन अतल गहराईयों में
कोई परेशानी नही बची रहेगी
अन्तर्मन पर पड़ने वाली
बाह्य मे घिरने वाली
कोई मार नही छू सकती तुम्हें
घुटनो मे सर रख दो
और डूब जाओ मेरे भीतर
कोई दुश्मन अब नही आने वाला
कोई विषाद छू नही सकेगा तुम्हें
वो लड़ाईया
जो लड़ नही पाये तुम
वो ढाल जो थी ही नहीं तुम्हारे पास
वो अस्त्र जो नही चाहा इस्तेमाल करना तुमने
यहाँ उपलब्ध हैं तुम्हारी सहायता को
बस आँख मीचो
और उतर आओ खामोश
हाँ मैं हूँ अंधेरे मेंडूबी
अवसाद की एक
अंधेरी खौह .........!!
संध्या