तरतीब
जिये गए समय
और गुज़ार लिए समय की
तरतीब जब बाँधी गई
दक्षता और योग्यता को
मांझने के समय को बिताया
असमंजस में ...
रोज़ी -रोटी की दौड़ में
कतारों में लगे -लगे बीता समय
अक्सर उम्मीदों का था
नक्शे ज़्यादा होते थे और होते थे अस्पष्ट भी
पहुँचने की जगह का
नहीं रहता था
मन से कोई ताल्लुक
अधर से कटा समय का टुकड़ा
खड़ा था विस्थापित जड़ें लिए
जहाँ हारे
अक्सर वहीं कीं सफलताएं अर्जित
जो अप्राप्य लगा
उसी के पीछे ज़्यादा भागे
जीत की एक ही शर्त थी
दायित्व हार जाते अगर .......!
संध्या
जिये गए समय
और गुज़ार लिए समय की
तरतीब जब बाँधी गई
दक्षता और योग्यता को
मांझने के समय को बिताया
असमंजस में ...
रोज़ी -रोटी की दौड़ में
कतारों में लगे -लगे बीता समय
अक्सर उम्मीदों का था
नक्शे ज़्यादा होते थे और होते थे अस्पष्ट भी
पहुँचने की जगह का
नहीं रहता था
मन से कोई ताल्लुक
अधर से कटा समय का टुकड़ा
खड़ा था विस्थापित जड़ें लिए
जहाँ हारे
अक्सर वहीं कीं सफलताएं अर्जित
जो अप्राप्य लगा
उसी के पीछे ज़्यादा भागे
जीत की एक ही शर्त थी
दायित्व हार जाते अगर .......!
संध्या
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